विदा माता पिता तुमसे, हुए हम चौदह वर्षों को...

हमारे गाँव में श्री रामलीला का हर वर्ष मंचन किया जाता है, जिसे पूरे 111 साल हो चुके हैं। पिछले 2 वर्षों से मैं प्रभु श्रीराम 🙏 का अभिनय कर रहा हूँ। अयोध्या से वनों के लिये निकलने से पहले यह गाना गाया जाता है, जो कि मेरा सबसे पसंदीदा गाना है। रामलीला में इस गाने के गायन व अभिनय की वीडियो भी नीचे 👇 है। देखकर अवश्य बताइयेगा कि आपको कैसी लगी?

विदा माता पिता तुमसे, हुए हम चौदह वर्षों को,
अयोध्यावासियों अब रम, चले हम चौदह वर्षों को।

विपत्ति एक सीढ़ी है, सुखों रूपी अटारी की,
है बढ़भागी जो उस पर रम, चले हम चौदह वर्षों को।

वनों का दुःख नहीं हमको, हमें दुःख है तो ऐसा है,
पिता माता की सेवा से, छुटे हम चौदह वर्षों को।

-: दोहा :-

नगरी मेरे पिता की, सुख में बसो सुदाम।
हम जंगल को चल दिये, कर तुझको प्रणाम।।



4 टिप्पणियाँ

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