प्रभु श्रीराम जी के जीवनवृत्त पर एक गीत लिखने का प्रयास किया है। पढ़ें और कमेंट कर बताइयेगा जरूर कि आपको मेरा स्वरचित गीत कैसा लगा? ताकि आगे कुछ नया लिख सकूं...
राम हमारे आये हैंसंग में सिया हैं, लक्ष्मण हैं और वीर हनुमान को लाये हैं
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
जन्मे अयोध्या, सूर्य वंश में, दशरथ पुत्र कहाये,
केकई, सुमित्रा माँ के दुलारे, कौशल्या के जाये,
भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न जैसे वीर अनुज जो पाये हैं।
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
गुरू वशिष्ठ से प्राप्त ज्ञान पर सब आदर्श बनाये,
दुष्टों के संहारन हेतु, मुनि तुम्हीं को लाये,
मार ताड़का और सुबाहु, जो मारीच भगाये हैं
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
शिला अहिल्या नारी थी, उद्धार को चरण लगाये,
पहुँच जनकपुर, पुष्पवाटिका, सीता के मन भाए,
भरे स्वयंवर, तोड़ शिव धनुष, सिया को जो वर लाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
राजतिलक की पिता ने जिसके की थी सब तैयारी,
मन्थरा-केकई-कोपभवन और पिता की आज्ञाकारी,
चौदह बरस को वन जाने में तनिक भी ना रिसियाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
गंगा पार लगा केवट कुछ ऐसा चाहे पाना,
मैंने तुमको पार किया, तुम मुझको पार लगाना,
केवट को दे आशिर्वचन, जो अपना मित्र बनाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
उधर पिता ने प्राण हैं त्यागे और भाई ने घर छोड़ा,
व्याकुल भरत ने जाकर पूछा अवध से क्यों मुँह मोड़ा?
राम कहें नहीं गिला किसी से, पिता-आज्ञा से आये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
ठुकरा कर के राजपाठ को, बने तपस्वी के जैसे,
बनी मिसाल यही तब जग में, भाई हों भरत जैसे,
लेकर चरण पादुका प्रभु की, अवध का राज चलाये हैं,
ऐसे भरत के भाई राम, श्री राम हमारे आये हैं।
पंचवटी में शूर्पनखा ने, करनी चाही मनमानी,
नाक कटी उसकी, खर-दूषण की भी हुई थी प्राण-हानि,
सोने का हिरण बने मारीच को, जो पहचान न पाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
पीछे-पीछे स्वर्ण हिरण के, गये कुटी से दूर निकल,
लक्ष्मण को भरमा दे रावण, सिया हरण में हुआ सफल,
कैसा खेल तुम्हारा राम खुद, ही खुद को भटकाये हैं
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
मिले जटायु मृत अवस्था, करते शोक अति भारी,
रोये, विलाप करें जब भगवन, कहाँ हो तुम सीता प्यारी?
देखके व्याकुल, रूदन करते जिसे लक्ष्मण धीर बँधाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
भटक रहे हैं दर-दर भगवन, और संग में लक्ष्मण,
शबरी बैठी राह बिछाये, पहुँचे मतंग ऋषि आश्रम,
भक्ति भाव में प्रेम भाव से झूठे बेर जो खाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
भेंट हुई सुग्रीव, हनुमत से, बालि का संहार किया,
वानरसेना संग सुग्रीव ने प्रभु के साथ का वचन दिया,
साथ लिया ना राजाओं का, वंचितों को ही अपनाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
सीताजी की खोज की खातिर महावीर को भेजा लंका,
पता लगाकर माता का जब भूख लगी तो बजाया डंका
पेड़ तोडकर बाग उजाड़े, हाहाकार मचाये हैं,
ऐसे परम भक्त के भगवन, श्री राम हमारे आये हैं।
अक्षय को जब मार गिराया, इन्द्रजीत ने बन्दी बनाया,
पूँछ में आग लगवाई रावण ने, जब कुछ समझ न आया?
लेकर जलती पूँछ उड़े तब लंका जलाकर आये हैं,
ऐसे परम भक्त के भगवन, श्री राम हमारे आये हैं।
अन्तिम बार प्रयास किया जब लिया सहारा अंगद का,
माना न रावण अभिमानी, बिगुल बजाया युद्ध ही का,
शुरू हुआ संग्राम भयंकर, दुष्टों के संहारक आये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
मेघनाद के बाण से जब लक्ष्मण को मूर्छा आई थी,
देखके हालत लखन लाल की, सारी सुधबुध खोई थी,
लाये पवनसुत बूटी संजीवन, लखन तभी उठ पाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
कुंभकरण का, मेघनाद का, अहिरावण का वध किया,
रावण के साथ सभी दुष्टों का, श्री राम ने अंत किया,
पूरा कर चौदह वर्षों को लौट कुशल घर आये हैं,
पूरी अयोध्या, गाँव-नगर में, सबने दीप जलाये हैं,
ऐसे राम मेरे भगवान, श्री राम हमारे आये हैं।
स्वरचित - विपुल राजपूत 'माहियान'
श्री राम जी की लीला को बहुत ही सुंदर तरह से लिखा आपने विपुल जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी 🙏
हटाएं.The best one poem.
हटाएंGreat effort
जवाब देंहटाएंBht hi sundar likha h vipul
जवाब देंहटाएंVery nice chachu.....all the bst
जवाब देंहटाएंsabhi ka bahut dhanyawad
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंVery nice..
जवाब देंहटाएंतथाकथित उर्दू के शब्दों के प्रयोग से बचें
जवाब देंहटाएंये आपके द्वारा रचित मनमोहक गीत हमारी धरोहरें हैं।
जहां तक संभव हो सके ऐसी रचनाओं में संस्कृतनिष्ठ हिंदी के प्रयोग को वरीयता प्रदान करें।
अद्भत रचना।
सुंदर रचना,,,हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
जवाब देंहटाएंJai shri Ram🙏🙏
जवाब देंहटाएंBhut bhut sundar kavita...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर आपने शब्दों के मोतियों को काव्य के धागें मे पिरो कर श्री राम जी के सम्पूर्ण जीवन आदर्श का जो चित्रण किया है वो अति उत्तम है
जवाब देंहटाएंVery nice
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